मकर संक्रांति (Makar Sankranti) सुनते ही याद आता है पतंगों से भरा आसमान और तिल-गुड़ की भीनी-भीनी खुशबु। भारत में मनाये जाने वाले मुख्य पर्वों में से एक है मकर संक्रांति। मकर संक्रांति का सम्बन्ध भूगोल और सूर्य की स्थिति से होता है, इसलिए यह त्यौहार अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों के जगह हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। है। कभी-कभी यह एक दिन पहले या बाद अर्थात 13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता है किन्तु ऐसा विरले ही होता है।
14 जनवरी का दिन भारत के कई राज्यों में पर्व विशेष के रूप में मनाया जाता है। सोनम के शब्द आज बात करेंगे 14 जनवरी के दिन को तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराँचल, गुजरात आदि राज्यों में किस नाम से और मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है? और मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
देश के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में मकर संक्रांति को अलग नामों से जाना जाता है और भिन्न-भिन्न रीतियों से मनाया भी जाता है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति मनाई जाती है। भारत में यह पर्व ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही खगोलीय और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। मुख्य रूप से इस त्यौहार का सम्बन्ध फसलों की बुआई और कटाई से है। इस पर्व का एक उद्देश्य सूर्य देव को धन्यवाद देना भी होता है।
वैसे तो वर्ष भर में १२ संक्रांति होती है, लेकिन इन सब में मकर संक्रांति का महत्व सबसे अधिक है। पुराणों में इस दिन किये गए दान-पुण्य को अनंत फलदायी बताया गया है।
गुजरात में मकर संक्रांति
गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहा जाता है। यह पर्व गुजरात में विशेष महत्व रखता है। इस दिन यहाँ पतंग उड़ाने का प्रचलन है। गुजरात के शहरों में बड़े स्तर पर पतंग के बाजार सजते है। कई जगहों पर पतंगबाज़ी की प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है। गुजरात में इस दिन प्रसिद्द गुजराती व्यंजन उंधियू और जलेबी खाने का रिवाज है। यहाँ उत्तरायण का यह उत्सव दो से तीन दिनों तक मनाया जाता है।
यहाँ क्लिक कर के जानिये जलेबी और इमरती: कैसे अलग है एक दूसरे से
महाराष्ट्र में मकर संक्रांति
महाराष्ट्र में संक्रांति के पर्व पर तिल और गुड़ से बने लड्डू मित्रों और रिश्तेदारों को दिए जाते है। साथ ही कहा जाता है “तिल गुड़ घ्या अणि गोड गोड बोला“, जिसका अर्थ है तिल-गुड़ लीजिये(खाइये) और मीठा-मीठा बोलिये। इसका एक अभिप्राय यह भी होता है कि पुरानी सभी कड़वी बातों को भूल कर रिश्तों की मिठास बनाये रखिये।

इस दिन सुहागन महिलाओं द्वारा हल्दी-कुमकुम भी मनाया जाता है। हल्दी-कुमकुम में सुहागिन महिलायें एक स्थान पर एकत्रित होती है। एक दूसरे के माथे पर हल्दी और कुमकुम से बिंदी लगाती है और अपने सौभाग्य की प्रार्थना करती है। एक दूसरे को तिल-गुड़ के लड्डुओं के साथ कुछ उपहार भी देती है। महाराष्ट्रियन समुदाय में हल्दी-कुमकुम का विशेष महत्व होता है।
मध्य भारत में मकर संक्रांति
उत्तर तथा मध्य भारत में इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग अपनी धार्मिक आस्था अनुसार पवित्र नदियों में स्नान करने तीर्थ स्थलों को जाते है। इस दिन मूंग दाल और चावल की खिचड़ी का भी विशेष महत्व होता है। कुछ क्षेत्रों में इस पर्व को खिचड़वार भी कहा जाता है। मंदिरों में खिचड़ी का दान दिया जाता है। घरों में भी खिचड़ी पकाई जाती है और घी-गुड़ के साथ खायी जाती है। साथ ही तिल-गुड़ की मिठाई भी बनायी जाती है और बांटी जाती है।
उत्तर भारत में मकर संक्रांति
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इस दिन लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। लोहड़ी का त्यौहार 13 जनवरी की रात को मनाया जाता है। सिखों के लिए लोहड़ी बहुत महत्त्व रखती है। लोहड़ी के कुछ दिन पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। दिनभर घर-घर से लकड़ियां लेकर इकट्ठा की जाती है। शाम को चाैराहे या घरों के आसपास खुली जगह पर लकड़ियां जलाई जाती हैं। उस अग्नि में तिल, गुड़ और मक्का को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। नृत्य-संगीत का दौर भी चलता है। पुरुष भांगड़ा तो महिलाएं गिद्दा नृत्य करती हैं। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है।
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति
तमिलनाडु में पोंगल– ये चार दिन का पर्व होता है, जिसमें भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल, कन्या पोंगल मनाया जाता है। इस मौके पर चावल के पकवान बनते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पोंगल के त्यौहार पर किसानों द्वारा सूर्य देव और इन्द्र देव को साल भर मिलने वाली फसल के लिए धन्यवाद दिया जाता है तथा प्रार्थना भी की जाती है।
केरल में मकर विलक्कू – इस दिन प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के पास लोग मकर ज्योति को आसमान में देखने के लिए एकत्र होते हैं।
कर्नाटक में एलु बिरोधु- कर्नाटक में मकर संक्रांति के दिन ‘एलु बिरोधु’ नामक एक अनुष्ठान का आयोजन होता है। इस कार्यक्रम में कई परिवारों की महिलाएं शामिल होती हैं और एक दूसरे संग क्षेत्रीय व्यंजनों जिसे एलु बेला कहते हैं, का आदान प्रदान करती हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस दिन घर की सभी पुरानी वस्तुएं निकाल कर उन्हें आग में जला दिया जाता है और अग्नि देवता से घर परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
असम और बंगाल में मकर संक्रांति
असम में माघ बिहू भी इसी दिन मनाया जाता है, इसे भोगली बिहू भी कहा जाता है। बंगाल में इस दिन हुगली नदी पर मेला लगता है जिसे गंगा सागर मेला कहा जाता है। इसमें श्रद्धालु नदी में स्नान करते है। इस दिन दान का भी विशेष महत्व होता है।
चलते-चलते
तो आप भी मकर संक्रांति पर तिल गुड़ के स्वाद और पतंग उड़ाने का आनंद लें। अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ यह त्यौहार हर्षोल्लास से मनाएं। साथ ही स्नान-दान की परंपरा का पालन कर पुण्य भी अर्जित करें।
आप सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं।
Loved it! Very well written