
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी नारियों को समर्पित मेरी ये कविता। अच्छी लगे तो शेयर करे, लाइक करे, और कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया दे।
सृष्टि रचियता की अनुपम कृति है हम,
फिर भी मन में होते है डर हर क़दम।
कभी हम कोख़ में मारी जाती है,
कभी इज़्ज़त की रक्षा में हार जाती है।
पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर ख़ुद को साबित करती,
साथ ही मानसिक और आर्थिक स्तर पर भी संघर्ष है करती।
देवी रूप में पूजित है हम मंदिरो में,
ख़ुशियों का रवि उदित है हमसे सभी घरो में।
दोहरी जिम्मेदारियाँ भी निभाती है हम पूरे मन से,
फिर भी परखीं जाती है हम, क़द-काठी और रूप-रंग से।
हमसे जीवन, हमसे समृद्धि और हम ही परिवार की धुरी है,
जी कर देखे एक दिन बिना हमारे, दुनिया कितनी अधूरी है।
होगा सार्थक मनाना ये अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तब ही,
जब मिटाएँगे भेद बेटा-बेटी और पुरुष-महिला का सब ही।
देती “सोनम” लेखनी को अपनी यही विराम,
समझना मेरी सोच और मेरे शब्दों को, अब आपका काम।
Very nice.
Very nice discription about women . Happy Women’s Day to all