भारतीय मीठे की बात चले और जलेबी – इमरती का ज़िक्र ना हो ये तो नामुमकिन है। जलेबी; एक तरफ जहाँ लोक कहावतों से लेकर बाज़ारों तक सर्वप्रसिद्ध और सर्वप्रिय मिठाई है। वहीं इमरती अपनी केसरिया घुमावदार बनावट के कारण जानी जाती है। गोल-गोल, आड़ी-तिरछी, रसभरी और कुरकुरी जलेबी एक तरफ सबको ललचाती हैं वही दूसरी तरफ गोलाकार, फूल की तरह दिखने वाली रसीली इमरती भी मुँह में पानी ला जाती है। ये दोनों वे भारतीय मिठाइयाँ हैं जो बेहद लोकप्रिय है, लेकिन ये जानना भी आश्चर्यजनक होगा की हम में से अधिकांश दोनों के मुख्य अंतर के बारे में नहीं जानते है। इसलिए अपने पाठकों के लिए आज मैं इन दोनों पर विस्तार से चर्चा करुँगी।
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जलेबी
ये जानना आश्चर्यजनक होगा की जलेबी मूलतः पर्शिया से आयी है। भारत के साथ जलेबी नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और भूटान में भी खाई जाती है।
जलेबी बनाने के लिए
सबसे पहले मैदे में चुटकीभर नमक मिला कर दही में अच्छे से घोल ले, आपको घोल गाढ़ा ही रखना है। अब इस घोल को 10 -12 घंटों के लिए ढँक कर किसी साफ़ और सुखी जगह पर रख दे। जितना ज्यादा घोल में ख़मीर उठेगा, जलेबी उतनी कुरकुरी बनेगी। अगर आपके पास इतना समय नहीं है तो आप ड्राई यीस्ट का उपयोग कर सकते है, जलेबी के घोल में ख़मीर उठाने के लिए।
जब आपका घोल तैयार हो जाये हो जाये तो उसे किसी साफ़ कपड़े में भर के, कपड़े के मुँह पर छेद कर दे और फिर पतली-पतली धार से हाथों को सीधे मध्यम आँच पर रखी हुई घी की भरी हुई कढ़ाई में गोल-गोल भीतर से बाहर की और चलाए।अगर आपको कपड़े से करने में परेशानी का अनुभव हो रहा है तो बाज़ार में उपलब्ध जलेबी मेकर का उपयोग करें।
इसमें आप घोल को भर के आसानी से सफाई के साथ कढ़ाई में जलेबियाँ बना सकते है। जलेबियों को मध्यम आँच पर पलट-पलट कर तलें। जब वे पूरी तरह से पक जाये तब उन्हें शक्कर-पानी-केसर से बनी एक तार की चाशनी में डाल दे। कुछ समय चाशनी में डूबे रहने दे और गरमा-गरम परोसे। । जलेबी के साथ पोहे मध्य भारत में बड़े चाव से खाए जाते है। कई जगहों पर रबड़ी-जलेबी को भी साथ खाया जाता है। घर में जलेबी बनाने के लिए आप ऊपर दी हुई विधि का प्रयोग करें या फिर MTR Jalebi Mix,Gits Jalebi with Maker, या फिर NBK Jalebi Instant Mix का उपयोग करें।
ध्यान देने योग्य बात : जलेबियाँ बनाने के लिए गहरी कढ़ाई का उपयोग नहीं होता। जलेबियाँ तई में बनती है।
इमरती
खाद्य इतिहासकारों के अनुसार इमरती की उत्पत्ति मुग़ल साम्राज्य के समय हुई थी। इसका मतलब इमरती ज्यादा हमारी अपनी हुई। राजभोग एक व्यंजनों में से एक हुआ करती थी इमरती। ये जलेबियों से उलट नर्म और कम चिपचिपी होती है। इमरतियाँ बनाने के लिए पूरी रात भीगी हुई धुली उड़द की दाल में खाने का नारंगी रंग या केसर मिला कर बारीक़ पीस ले और अच्छे से फेंट ले। अब इसकी कुछ बूंदे पानी में डाल कर देखे अगर वो पानी में घुलती नहीं है और सीधी ही सतह पर जाकर वापस ऊपर आ जाती है तो समझिये आपका घोल इमरतियाँ बनाने के लिए तैयार है।इमरतियाँ बनाने के लिए घोल में ख़मीर उठाने की आवश्कयता नहीं होती है।
अब इस घोल को ऊपर बताये जलेबी मेकर में भर कर गोल-गोल फूल के डिज़ाइन में घी की कढ़ाई में डालें। आँच को धीमी और मध्यम करते रहे समय-समय पर। जब पूरी तरह से पक जाये तब उन्हें शक्कर-पानी-केसर-इलायची पाउडर से बनी एक तार की चाशनी में डाल दे।
ध्यान रहें ये जलेबियों से थोड़ी मोटी ही रहती हैं। इमरतियों को आप गर्म और ठंडा दोनों तरह से परोस सकते है। पौष्टिक दृष्टिकोण से, तुलनात्मक रूप से इमरती; जलेबी की तुलना में स्वास्थवर्धक है क्यूंकि इमरती को उड़द दाल से बनाया जाता है और जलेबी को मैदे से।
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