2 वर्षीय बेटे के नाम खुला पत्र | An Open Letter to 2 Year Old Son

Namit and His Maa Sharing a Fun Moment

प्यारे बेटे नमित,

द्वितीय जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ, शुभाशिष।

आज तुम दो वर्ष के हो गए। तुम्हारे साथ सच मानो ये दो वर्ष पंख लगाकर जैसे उड़ गए। मेरी गोद से उतर कर अब तुम भागने लगे हो, मुझे माँ-मम्मा कह कर पुकारने लगे हो, अपनी खाने की पसंद-नापसंद बताने लगे हो और कई शरारतें कर के मुझे सताने भी लगे हो।

तुम मेरे जीवन की वो अनमोल निधि हो जिसे मैं सबको दिखाना भी चाहती हुँ और कोई तुम्हें नज़र ना लगा दे इसीलिए सबसे छुपाना भी चाहती हुँ। और इसीलिए अब तक या तो तुम्हारी तस्वीरें शेयर नहीं करती या करती हुँ तो तुम्हारा चेहरा स्पष्ट नहीं दिखाती। अब तक हर संभव प्रयास कर के तुम्हारी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर आने से रोका है। शायद तुम बड़े होकर मुझसे पूछो की ऐसा क्यों माँ, आप तो फ़ेस्बुक और इन्स्टग्रैम पर बड़ी ऐक्टिव रहती थी, फिर मुझे सबसे क्यों छुपाया। तब मेरा उत्तर होगा – माँ हुँ ना इसीलिए, तुम्हें किसी की नज़र नहीं लगने दूँगी।

तुमने हमारे जीवन में आकर ना सिर्फ़ हमें माँ-पापा बनाया है, बल्कि हमें अपने स्वास्थ, रहन-सहन और सोच को विकसित करने का एक अवसर भी दिया है। सभी माता-पिता की तरह हम भी तुम्हें हर चीज़ का सर्वश्रेष्ठ देना चाहते है और मुझसे ज़्यादा तो तुम्हारे पापा इसके लिए प्रयासरत रहते है। शायद इसीलिए तुम अपने पापा को बहुत चाहते हो।  लेकिन जब वो काम के सिलसिले में बाहर होते है, तब तुम्हारे सारे प्यार की हक़दार मैं होती हुँ।

तुम्हें मेरी बहुत परवाह होती है। नहाते समय पानी गर्म है या ठंडा, ये देखने के लिए जब मैं बाल्टी में हाथ डालती हुँ तो तुम मुझे ना-ना कह के मेरा हाथ पीछे लेते हो। खाना बनाते समय छौंक की आवाज़ सुनकर तुम माँ-माँ कहकर ये निश्चित करते हो की कहीं मुझे कोई चोट तो नहीं लगी। ये दोनो बातें प्रतिदिन होती है और तुम कोई मौक़ा नहीं छोड़ते अपना प्यार जताने का। मेरे गले में हाथ डालकर जब तुम मेरी पीठ पर झूलते हो तो लगता है कि “काश, ये पल यहीं ठहर जाए और तुम कभी मुझसे दूर ना जाओ”।

पर, अब दूर जाने का समय आ गया है मेरे बेटे। जल्दी ही तुम्हें लौकिक़ शिक्षा के लिए स्कूल जाना होगा। तुम्हारी धार्मिक और सामाजिक शिक्षा के लिए मैं और पापा घर पर तुम्हें शिक्षित करेंगे।

हमें और पूरे परिवार को तुम पर नाज़ है।

जीवन में हमेशा अपने पापा की तरह सच का साथ देना, किसी की साथ ग़लत नहीं करना और ईमानदारी की राह पर निस्वार्थता के साथ चलना।

सोनम के शब्दों को यहीं विराम देती हूँ।

तुम्हारी माँ


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2 Comments on “2 वर्षीय बेटे के नाम खुला पत्र | An Open Letter to 2 Year Old Son”

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