दान महोत्सव: 2 से 8 ऑक्टोबर प्रति वर्ष

Daan Utsav 2 to 8 October

दान का महत्व सभी धर्मों में बताया गया है। दान शब्द सुनते ही दिमाग़ में दानवीर कर्ण की छवि और उनके दिए दान की कहानी याद आ जाती है। आज की दौड़-भाग भरी ज़िंदगी में हम सब महँगाई से लड़ते हुए कमाने-खाने-बचाने और खर्चने की चिंता में लगे रहते है। ऐसे में दान देना एक कर्तव्य ही लगता है। इस ब्लॉग में दान देने के लिए प्रेरित करने और दान का महत्व बताने वाली बातें आपसे साँझा करी गई है।

दान का अर्थ और प्रकार

दान देने का मतलब बस रुपया-पैसा देना नहीं होता। दान आप किसी भी रूप में दे सकते है। दान देना हमें बाँटना या साँझा करना सिखाता है। आप धन के अलावा अन्न, औषधि, विद्या, भूमि, कौशल-कला या ख़ुशियाँ भी बाँट सकते है। आज के परिप्रेक्ष्य में समय का दान भी सही माना जाता है। रक्तदान, अंगदान तो महादान की श्रेणी में रखें गए है।

दान के ४ प्रकार – आहार, औषध, अभय, विद्या

दान महोत्सव क्यों?

दान सुपात्र यानी की जो उसका असली हक़दार हो उसे ही देना चाहिए। अपात्र या कुपात्र को दान देना उचित नहीं होता। धर्मानुसार तो जरूरतमंदों को ही दान देना उचित होता है।

सुपात्र को ही दान दे
विद्यादान सर्वोत्तम है
दान करना एक दृष्टिकोण है
दान को कर्तव्य मान कर ना करें
दान वो है, जो देकर भूल जाया जाऐ

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