जो चलता है वहीं चमकता है

Cyclists Preeti Manish Raghuwanshi

नमस्ते पाठकों 🙏🏻

आपसे मिल रहे स्नेह के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मैं प्रतिदिन ये प्रयास करती हूँ की कैसे आपको पढ़ने और SonamKeShabd से जुड़े रख सकती हूँ। इसी कड़ी में अगला प्रयास है ये ब्लॉग जो लिए है आपके लिए वास्तविक जीवन का अनुभव जो इस ब्लॉग के शीर्षक “जो चलता है वहीं चमकता है” को सही मायनो में चरिथार्त करता है। तो आईये बात शुरू करते है-

जब इस विषय पर लिखने का सोचा तो विचारों की लहरें मेरे मस्तिष्क में इस तरह उठी की मेरी उँगलियों ने इतनी तेज टाइप करने से मना कर दिया। इसीलिए मैंने तय किया की इस ब्लॉग में कोई ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाये जो पढ़ने में दिलचस्प होने के साथ वास्तविक भी हो। 

प्रीती और मनीष रघुवंशी, इंदौर (मध्य प्रदेश) से

The believers of जो चलता है वहीं चमकता है
Cyclists Manish and Preeti Raghuwanshi

पढ़िए क्या है इनका मानना जो चलता है वहीं चमकता है को लेकर 

A handwritten note by Priti Raghuwanshi sharing her experience of bicycle ridding
Preeti’s Self-Written Note Explaining Her Belief in जो चलता है वहीं चमकता है
A mobile screenshot showing the ride completed by Preeti and Manish

तो ये थे प्रीती के विचार जो चलता है वहीं चमकता है को लेकर अब मेरे पढ़िए। 

कुछ पाठकों को मेरे पिछले ब्लॉग बाँटने से बढ़ता ही है… में लिखी हुई समरूपताएँ (Analogies) पसंद आयी थी इसीलिए फिर से प्रयास कर रही हूँ इस विषय के सम्बन्ध में उन्हें बताने का…. 

प्रकृति से सीखिए जो चलता है वहीं चमकता है –

कभी देखा है समुद्र को सूखते हुए? सूखते है तालाब, नदियाँ, कुंड, और सरोवर क्योंकि एक जगह स्थिर होने से ये निष्क्रिय हो जाते है। 

क्या आपने कभी किसी पंछी को एक जगह पर ज्यादा देर बैठे देखा है?

बीज से फल और फल से बीज, या फिर बीज से फूल और फूल से बीज यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है इसीलिए आपको फल-फूल मिलते रहते है भले ही आप उनका उत्पादन करे या ना करे। 

सूर्य और चन्द्रमा भी चलते रहते है और धरती भी घूम रही है। इसीलिए ये तीनो पूज्यनीय है। 

समय चल रहा है इसीलिए उसकी क़द्र करने को कहा जाता है। 

कहते है ना खाली दिमाग शैतान का घर इसीलिए कुछ-ना-कुछ करते रहने, पढ़ते रहने या व्यस्त रहने की सलाह दी जाती है। 

तो बात मेरे कहने की ये है की जब हर वो चीज़ जो चल रही है वो चमक रही है; उसका सम्मान हो रहा है; वो प्रगतिशील है; तो हम अपने शरीर को क्यों निष्क्रिय करने में लगे है?

  1. कभी सोचियेगा की हज़ारों का कॉस्मेटिक उपयोग करने के बाद भी आपको कोई ना कोई चमड़ी संबंधी समस्या होगी और आपके घर में काम करने वाली आपकी सहायक (परिचारिका) कोई लोकल क्रीम लगा कर भी मुस्कुराते हुए काम करती है।  ऐसा क्यों?
  2. खेतों में काम करने वाले हमारे अन्नदाता किसान बिना व्यायामशाला जाए ही कितना गठीला शरीर बना लेते है। कितने किसानों या दिहाड़ी मजदूरों ये BP, Cholestrol की समस्या? होती होगी?  वो लोग पसीने के साथ अपनी बीमारियाँ भी बहा देते है। 
  3. पहले सामान्य प्रसव आम बात हुआ करती थी। और अब इस बात पर ज़ोर दिया जाता है की गर्भावस्था में योग करिये, पैदल चलिए, मैटरनिटी एक्सरसाइज करिये, ऐसा क्यों? क्यूंकि पहले घरेलु कामों को स्वयं किया जाता था और अब  उन कामों को किसी और के सुपुर्द कर के अतिरिक्त पैसा देकर योगा सेण्टर और Gym ज्वाइन किये जाते है।  
  4. मैं खुद ऐसी कितनी ही दादी-नानी को जानती हूँ जिनमें 30 -40 साल वाली ऊर्जा  स्फूर्ति 50 के बाद भी देखने को मिलती है। क्यूंकि वो अपने ज़माने से ही सभी काम स्वयं करती आ रही है। 
  5. किसी खिलाडी या नायक-नायिका को ही ले लीजिये; 50 की उम्र भी देखने से पता नहीं चलती। अब आप कहेंगे की उनका प्रोफेशन उन्हें फिट रहने को कहता है तो मैं कहूँगी उन जितना नहीं पर थोड़ी सी फिटनेस तो आपको भी अच्छा दिखने, बीमारियों से बचाने और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए भी ज़रूरी है।  

सार यह है की –

जब तक संभव है अपने शरीर और दिमाग को चलाते रहिए क्यूंकि चलता हुआ शरीर आपको 100 बिमारियों से बचाए रखेगा और चलता हुआ दिमाग आपको 100 बुराइयों से बचाएगा। कसरत करे, पैदल चले, दौड़े, अपने पसंदीदा खेल को खेले, नृत्य करे, योगा करे, घरेलु काम करें, ताकि आपका शरीर निष्क्रिय ना बने। खुद के लिए छोटे-छोटे टारगेट सेट करे और फिर उन्हें अचीव करने का प्रयास करें। वजन नियंत्रित रखें और चमकते रहे। 

ठीक इसी तरह; अपने दिमाग को भी चलाते रहें। कोई  किताब पढ़ने का शौक़ रखे, पहेलियाँ बुझाए, आर्ट और क्राफ्ट करें, लिखें, अपनी समझ से कुछ ऐसा करने का प्रयास करें जो अलग और अनोखा हो। डरिये नहीं फ़ैल भी हुए तो अनुभव मिल जाएगा और फिर आप अपना अनुभव बाँट कर भी नाम कमा सकते है 😜

मेरा यक़ीन मानिए नौकरी और गृहस्थी के कामों से छुट्टी नहीं मिलेगी, चलने और चमकने के लिए समय आपको ही निकालना पड़ेगा। जैसा प्रीती और मनीष ने निकाला है। 

इसी के साथ अब सोनम के शब्दों के देते है अर्ध विराम और मिलते है जल्दी अगले ब्लॉग के साथ। तब तक के लिए इस ब्लॉग के लिए अपने विचार कमेंट बॉक्स में साँझा करें। और प्रीति-मनीष के जैसे अगर आप भी अपना कोई वास्तविक जीवन का अनुभव sonamkeshabd के जरिए सभी से बाँटना चाहते है तो मुझसे संपर्क करे।  


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